आध्यात्मिकता का मतलब जीवन से सन्यास लेना नहीं है; यह पूरी तरह से जीवन जीने की कला है। आचार्य प्रशांत डर से उत्पन्न होने वाली क्रिया से ओर अधिक डर उत्पन्न होगा। आचार्य प्रशांत आध्यात्मिकता, अनावश्यक को खत्म करने का अनुशासन है। आचार्य प्रशांत इस पल की गुणवत्ता जीवन की गुणवत्ता तय करती है। यदि यह जीवन है, तो इस पल की सार्थकता जीवन की सार्थकता है। आचार्य प्रशांत आपकी सभी खामियों के साथ, आप परफेक्ट हैं। आचार्य प्रशांत इतना भी गंभीर मत बनो; कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं है। आचार्य प्रशांत अपने स्वयं के जीवन का निरीक्षण करें, और आप सत्य को पहचान पाएंगे। आचार्य प्रशांत अच्छी तरह से जीना, पूरी तरह से जीना, जीवन का उद्देश्य है। कोई दूसरा उद्देश्य क्यों पूछें? आचार्य प्रशांत ध्यान वह है जो शांति से उत्पन्न होता है और आपको वापस शांति में लाता है। आचार्य प्रशांत जब आप शांत हैं या नहीं, इस बात पर परेशान नहीं होते हैं तो यही शांति है। आचार्य प्रशांत किसी व्यक्ति को उसकी ऊँची आवाज़ से नहीं, बल्कि उसके मौन की गहराई से जानें। आचार्य प्रशांत बच्चों को पढ़ाने से पहले उनसे सीख...